.. अब धमकी सहन नहीं होती, इस्तीफा ही सही
पंजे वाली पार्टी में इस्तीफों का दौर चल रहा है। एक के बाद पदाधिकारी एवं पूर्व पदाधिकारी इस सबसे पुरानी पार्टी को बाय बाय कर रहे हैं। एकदम से इस्तीफों के दौर के बाद दरबारी लाल की जिज्ञासा बढ़ी तो इस्तीफा देने वाले एक पूर्व पदाधिकारी से कारण पूछा। उन्होंने बताया कि कांग्रेस की एक कद्दावर नेता के करीबी पदाधिकारियों से ऐसा व्यवहार करते हैं जैसे किसी बड़ी कंपनी के अधिकारी मजदूर से बात करते हैं। इतना ही नहीं करियर खराब करने तक की धमकी दी जाती है। राजनीतिक जीवन खराब हो इससे बेहतर तो यह है खुद दूसरा रास्ता चुन लें।
हाथी के दांत दिखाने के और…
सूबे के मुखिया ने गुरुवार को राज्य कर्मचारियों को तोहफा दिया। हालांकि इसकी तैयारी वित्त विभाग द्वारा पिछले 15 दिनों से की जा रही थी और कर्मचारी भी खुश थे कि उन्हें दीपावली पर मोटा बोनस मिलेगा। लेकिन आदेश देखकर दरबारी लाल को झटका लग गया। दरअसल वित्त मंत्रालय की ओर से जो प्रस्ताव तैयार किया गया है, उसमें राज्य कर्मचारियों को बोनस का 25% हिस्सा ही वेतन के रूप में देने की बात कही गई है, जबकि 75% हिस्सा पीएफ अकाउंट में जमा होगा। यानि अगर किसी की 1 महीने की सैलरी ₹10 है तो उसे केवल ढाई रुपए ही बढ़कर मिलेंगे, जबकि ₹₹ साडे 7 उसके पीएफ अकाउंट में जमा होंगे। अब यह बोनस पीएफ अकाउंट में कब पहुंचेगा यह तो सरकार ही जानें, लेकिन इससे एक बात तो साफ हो गई कि हाथी के दांत दिखाने के अलग और खाने के अलग।
… अध्यक्ष जी उठ गये हैं
सत्ता का नशा भी ऐसा होता है जो सिर चढ़ कर बोलता है। यदि ऐसा न हो सत्ता ही क्या। सत्ता वाली पार्टी सीधे कहें तो फूल वाली पार्टी में भी कुछ नेता राजशाही चलाते हैं। ऐसे ही एक नये नये अध्यक्ष हैं वह भी युवा। जब वे सोकर उठते हैं तो जिस संगठन के वे अध्यक्ष हैं उसके ग्रुप में संदेश आता है अध्यक्ष जी अब उठ गये हैं। जिसे सम्मानित अध्यक्ष जी से बात करनी हो तो वह फोन मिलाकर बात कर लें। इसके बाद लवणासुर की भूमि पर रहने वाले एक पदाधिकारी ने दरबारी लाल के कान में कहा अध्यक्ष जी हमारे कोई राजा से कम थोड़े ही है। पूरे क्षेत्र में चर्चे हैं कि जब से अध्यक्ष बनें है चाल ढ़ाल भी राजा जैसी हो गई है। इतना ही नहीं अपने क्षेत्र के पदाधिकारियों को तो वे आदेश भी राजा की तरह ही करते हैं।